जुस्तजू भाग --- 8
हमें उनका गम, उन्हें हमारा।
साथ बैठे तो कुछ इलाज़ हो।।
मां अनुपम की सच्चाई और वादे से प्रभावित हो गई। उन्होंने बच्चे का सच जितना मालूम था, बता दिया। अनुपम हैरान था। उसे समझ आ गया था क्यों वह बच्चे से इतना लगाव महसूस कर रहा था। उसने अपने बच्चे को गोद में लेकर अपने से चिपका लिया। मौन, उसके आंसू रुक ही नहीं रहे थे।
"आप लो त्यों लहे हैं। दल्द हो लहा है। मम्मी को बुलाऊं ?? वह इलाद कल देंगी।" अपने बच्चें की तोतली बोली में उसकी परवाह सुन उसके चेहरे पर मुस्कुराहट लौट आई। तभी ड्राईवर गंगाराम और गनमैन रामसिंह सहित एसडीएम और तालुकेदार दोनों वहां आ गए।
"सर सबको शिफ्ट करवा दिया है। कल वाले गंभीर पेशेंट की हालत स्थिर है। डॉक्टर्स से लगातार संपर्क में हूं। विधायक साहब ने आपको पर्सनली धन्यवाद दिया है। सीएम साहब भी आपसे कुछ देर में बात करेंगे। आपके कहे अनुसार दो गाड़ियां तैयार है।" एसडीएम बोला।
"तालुकेदार साहब, पीडब्ल्यूडी के डिवीजन इंचार्ज को तुरंत मौके पर बुलाइए और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं न हो ऐसा प्रबंध पुल पर करवाइए। और आप एसडीएम साहब, यहां के डीएसपी और एस एच ओ को जिला मुख्यालय पर रिलीव कीजिए। मैंने माननीय गृह मंत्री जी से बात कर ली है। उनके आदेश शीघ्र ही उन्हे मिल जायेंगे। आप दोनों भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार कर 3 दिन बाद मुझसे मिलें। रामसिंह आप तुरंत मेरे पीए को नोट करने और सारी सूचनाएं मुझे देने को कहे। सीएम साहब का फोन आने से पहले सारी रिपोर्ट तैयार रहे। सरपंच साहिबा को पंचायत भवन पर आने को कहें और सीएमओ से वीडियो कांफ्रेंसिंग की वहां व्यवस्था करवाएं। सभी जिम्मेदार वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान अनिवार्य रूप से वहां उपस्थित रहे।" अनुपम की रौबदार आवाज़ में छुपी चेतावनी और नाराजगी से सारा प्रशासन स्तब्ध रह गया। दोनो अफसरों केबाहर जाते ही हलचल मच गई।
"गंगाराम आप माताजी और बच्चे को पूरी ज़िम्मेदारी से बंगले पर ले जाएं। ध्यान रहे इन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।" अनुपम का अगला आदेश था।
एक घंटे बाद मां और उसका बच्चा रवाना हो चुके थे। उधर आरूषि सबसे अंजान अपने काम में व्यस्त थी। इधर अनुपम की तैयारियों और सीएमओ की अपडेट ने सीएम साहब को पर्सनली प्रभावित किया। उन्हें उलाहने या कमी देखने का कोई मौका ही नहीं मिला। अनुपम ने अवसर लाभ उठाते हुए सीएम साहब से क्षेत्र के लिए कुछ आवश्यक योजनाएं मंजूर करवा ली। सरपंच, विधायक और क्षेत्र की जनता को पता चला तो सब बेहद खुश थे। सोने पर सुहागे के रूप में सारा श्रेय उन्ही को दे दिया। अब तो दोनों राजनीतिक पदाधिकारी और सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता भी बेहद प्रभावित हो चुके थे। इस सब में कब 2 बज गए,दोनों इतने बिजी रहे कि समय का पता ही नहीं चला। अनुपम जैसे ही फ्री हुआ उसे अहसास हो गया कि आरूषि की प्रतिक्रिया बहुत जोरदार होगी।
"उफ्फ, उसे संभालना होगा, क्या करूं ?"
जितना वह जानता था वह भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ेगी जब उसे बच्चे और मां को अनुपम द्वारा अपने घर भिजवाने का पता चलेगा।
आरूषि हॉस्पिटल के रूटीन से मुक्त होकर सौम्या को चार्ज दे रही थी।
"दी, कुछ बताएंगी ?"
"किस बारे में ?" आरूषि उसके सवाल से हैरान थी पर एक रात में ही सौम्या उसके इतने नज़दीक आ गई थी कि बिना उसे जवाब दिए रहना संभव नहीं था।
"मैं दो बार आई थी रात को, पहले आप कलेक्टर साहब का हाथ पकड़े रो रही थीऔर दूसरी बार सुबह पांच बजे जब आप उनके हाथ पर सो रही थी। दी प्लीज़, मैं कोई भी इमेजिनेशन नहीं कर रही पर आप उचित समझे तो शेयर कर सकती हैं।"
"वह जीजाजी है आपके।"वह फ्लो में बोल गई। कहते समय वह बेहद दर्द में थी। सच अपनाने को उसका दिमाग़ तैयार नहीं था पर दिल !!! उसका वह क्या कर सकती थी।
"क्या !! दी !! वाउ !! दी, आप अब बता रही हैं !! ओह मैं ही नासमझ थी !! आप नाराज़ हैं क्या उनसे ?? "
"बस, अब आप अपनी सीमा लांघ रही हैं।"
सौम्या के सारे एक्साइटमेंट पर पानी फिर गया था जैसे। वह चुप सी हो गई। आरूषि को लग गया कि ज्यादा हो गया था,"फिर कभी, सौम्या । अपनी दी माना है न तो मज़बूरी भी समझ गई होगी।"
"हम मिलेंगे न, दी !! मैं लखनऊ पीजीआई आऊंगी मिलने, आप मिलेंगी न मुझसे !!" सौम्या फिर से उत्साहित हो गई। "आप मुझे भी गाइड करेंगी न ? मुझे भी एम एस करना है।"
पर अनुपम के बारे में कुछ बोलने से परहेज़ कर गई। उसने आरूषि पर छोड़ दिया था सब। खाना पहले ही आ गया था। दोनों ने साथ खाया।
"छोटी बहिनें अपनी दी से मिलने के लिए पूछा नहीं करती। हम्म, जहां आप मेरी मदद मांगेंगी, मिलेगी आपको। क्वार्टर में शिफ्ट हो जाइएगा, मैं सब यहीं छोड़ रही हूं। अपनी छोटी बहिन के लिए और कोई मना नहीं।" उठते हुए आरूषि बोली "अब मुझे बाकी तैयारियां करनी है। आप संभालिए, अगर कोई जरूरत हो तो जब तक हूं, आप मिल सकती हैं।"
आरूषि थके कदमों से क्वार्टर लौट आई। अनुपम भी बम फटने का इन्तजार कर रहा था। उसने सबको भेज दिया था और अकेले सामना करना चाहता था।
घंटी की आवाज़ पर अनुपम ने दरवाजा खोला।
"आप !! आप यहां क्या कर रहे हैं ? क्या बाकी रह गया है ? छोड़ क्यों नहीं देते मुझे मेरे हाल पर ?" आरूषि का दर्द बह चला था। "मां कहां हो ? इनको भेजा क्यों नहीं ?"
"आ.. आरू... आरूषि, मां को मैंने गाजीपुर भेज दिया है। और मेरे बेटे को भी।" अनुपम की आवाज़ लड़खड़ा रही थी।
"क्या !!! तुम, तुम.... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ? मेरे बेटे को मुझसे छीनने की !!" आरूषि भूखी शेरनी की तरह झपट पड़ी थी अनुपम पर, अपना आपा खो दिया था उसने और दोनों हाथों से उसके कॉलर को थाम लिया था।
"आप भी मेरे साथ ही चलेंगी। और मेरा बच्चा !! क्या....?? वो मेरा भी है। और, बात हक़ की तो आप पर उससे ज्यादा है। मैंने छीना नहीं है, बस अब वह अपने मां बाप दोनों के साथ रहेगा।" अनुपम क्षुब्ध स्वर में बोला।
आरूषि अनुपम के सच को जान लेने से हैरान थी। उसका गुस्सा अब हताशा में बदल चुका था। "कैसा हक़ ?? जब अकेले छोड़ दिया था तब कहां था आपका हक़ ?? गायब हो गए बिना अपने बारे में सब बताए !! कोई क्लू नहीं। कहां कहां नहीं ढूंढा मैंने !! कभी सोचा कि अकेले सब का सामना कैसे किया होगा ?? और अब, जब मैंने जीना सीख लिया तो आ गए हक़ जताने । पहले शरीर चाहिए था और अब अपना बेटा। बस कर लीजिए मनमानी। मैं क्या बिगाड लूंगी, यही सोचा होगा न !! पर छोडूंगी नहीं आपको अगर मेरा बच्चा मुझे नहीं मिला।" आरूषि फिर गुस्से से भरने लगी।
"सब सवालों के जवाब मिलेंगे पर अभी आप मेरे साथ गाजीपुर चलेंगी। आपका सारा सामान वहीं भिजवा दिया है और लखनऊ भी मेरे साथ ही जायेंगी आप। " इतना कहकर अनुपम ने आरूषि का हाथ जकड़ लिया। आरूषि भी समझ चुकी थी कि साथ जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उसे अपने सवालों और इंतज़ार के जवाब भी पाने थे।
"अगर रिश्ता छोड़ना भी पड़ा तो इनकी सहमति भी लेनी होगी।"
वह खिंचती सी कार में जा बैठी। पैसेंजर डोर को बंद करके अनुपम ने ड्राइविंग सीट संभाल ली।
दोनों का सफ़र शुरू हो गया था जिंदगी की नई राहों पर। दोनों जिन्दगी के अगले मोड़ से अंजान अभी अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले थे।
Seema Priyadarshini sahay
06-Feb-2022 05:37 PM
बहुत ही शानदार भाग
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Sandhya Prakash
25-Jan-2022 08:06 PM
Intresting 👍👍
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राधिका माधव
23-Dec-2021 04:26 PM
कुछ अच्छा हुआ आखिर, नाराजगी चलती है या नही, और कब तक देखते है अगले भाग में।
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Ajay
29-Dec-2021 11:30 PM
🙏🏻🙏🏻
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